गोली चली धाय धांय
मुख से निकला हे राम
एक दो तीन
काम खत्म
अहिंसा के पुजारी की जान गई हिंसा से
सामने वाला तो महात्मा था
मारने वाला भी कोई गुंडा बदमाश नहीं
नाथूराम गोडसे था
प्रणाम कर गोली चलाना
यह भी तो सत्य था
क्या हुआ था
क्यों मजबूर था
यह तो वक्त के पन्ने पर कैद
पर उस दिन
हिंसा की विजय हुई थी
अहिंसा कहीं नजर नहीं आई
अहिंसा की लाठी से
अंग्रेजों का साम्राज्य ढहाने वाले बापू
का प्राणघातक हत्यारा अपना ही था
वह उसे नहीं बदल पाए
राजघाट पर शीश चढ़ाने आते हैं
श्रंद्धाजलि अर्पित करते हैं
तब यह तो तय है
उस दिन बापू ने शरीर छोड़ा था
सिंद्धांत आज भी जिंदा है
सदियों तक रहेंगे
आनेवाली पीढियां भी नमन करेगी
वास्तव में ऐसा इंसान हुआ था क्या??
यह सोचने पर मजबूर होगी
शत शत नमन
अहिंसा के इस महान पुजारी की
उनकी पुण्यतिथि पर
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Wednesday, 30 January 2019
अहिंसा के पुजारी को शत शत नमन
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