Monday, 21 January 2019

वह मृत्यु है

चला था अकेला
लोग मिलते गए
साथ जुड़ते गए
कारंवा बनता गया
राह आसान होती गई
उन्नति होती गई
जीवन बीतता गया
मंजिल मिलती गई
जाना भी होगा अकेला
साथ भी चलेंगे
तब महसूस नहीं होगा
कुछ दृष्टिगोचर नहीं होगा
अंतिम प्रस्थान हो चुका होगा
आँखें नम होगी
तब मैं रोया था ,लोग हँसे थे
आज लोग रो रहे होंगे
मैं छोडकर जा रहा होगा
जाने का मन न होगा तब भी
नम आंखों से बिदाई देनी होगी
अपनों से दूर जाना
हमेशा के लिए बिदा होना
यह तो बहुत पीड़ादायक
पर सत्य की सत्ता को तो झुठलाया नहीं जा सकता
मृत्यु ही सबसे बड़ा सत्य
वह अचानक आती है
संभलने का समय भी नहीं देती
तनिक भी देरी नहीं करती
हमारे पास तो वक्त की कमी नहीं
पर वह वक्त की पाबंद
उसे कोई लोभ नहीं
कोई मोह नहीं
कठोर है वह
बडे से बडे शक्तिशाली की भी उसके सामने कोई हस्ती नहीं
न कोई खरीद सकता है
न रोक सकता है
वह संहार है विनाश है
डरावनी है
अप्रिय है
वह मृत्यु है

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