Tuesday, 5 February 2019

जिंदगी का फलसफा

मटर का सीजन
मार्केट मे मटर ही मटर
बड़़े बड़़े ढेर
लोग खरिद भी रहे हैं
सस्ता जो मिल रहा है
60और80 के भाव स पाव भर बिकने वाला
25और 30 का किलो
मैंने भी तीन किलो लिया
इस समय लेकर
दाने निकालकर रख देते हैं फ्रीजर मे
साल भर चलता है
घर मे उत्सव हो
पुलाव बनाना या और कुछ व्यंजन
मटर छीलने बैठी
तो पति और बेटी ने भी हाथ बटांया
काम करते करते बातें भी हुई
नहीं तो मुंबई महानगर मे लोग मिलते ही कहाँ  है
यहाँ शाम नहीं सीधे देर रात होती है आने मे
अचानक एहसास हुआ
मटर छिलते समय
कुछ सड़े ,पिलपिले भी
उसमें के अच्छे दाने निकाल लिए
खराब फेंक दिए
पर जीवन मे हम इसका विपरीत करते हैं
खराब को मस्तिष्क के फ्रिजर मे स्टोर करते रहते हैं
ताउम्र और हर समय
दुखी होते रहते हैं
कुढ़ते रहते हैं
परिणाम तो कुछ नहीं
अलबत्ता
जिंदगी को जरूर नारकीय बना डालते हैं
तब क्यों नहीं मटर की तरह
अच्छी यादों और अनुभव को स्टोर किया जाय
कीड़े वाले कुलबुलाने वाले विचारों को झटक दे
जिंदगी तो मटर से ज्यादा कीमती है
यह कोई एक साल की नहीं
सालोसाल आपके साथ रहने वाली है
यही नहीं जिंदगी के साथ के बाद भी

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