संबंध बहुत अच्छे हैं
वह बहुत अच्छा है
हम बहुत जल्दी विश्वास कर लेते हैं
यह मानवी स्वभाव है
असलियत तो तब पता चलती है
जब मुसीबत मे हो
मदद की दरकार हो
केवल मीठा बोलना ही काफी नहीं
शिद्दत से संबंधों को निभाना भी जरूरी
स्वार्थी से दूर रहना
अपना काम है तो राम राम
तुम्हारा है तो दुआ सलाम
तब तो मुंह छिपाएंगे
आँख भरकर देखेंगे भी नहीं
हमारा सामान लेते समय तो मुस्कराना
मांगते समय खीज
यह क्यों भाई
तब तो यह स्वार्थपरता हुई
बचना है ऐसो से
कब धोखा दे जाय
कब पीठ मे छूरा भोंक दे
कह नहीं सकते
इससे तो बेहतर अकेले रहना
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 27 February 2019
स्वार्थपरता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, आशा दी।
ReplyDelete