बगिया मे खिला लाल सूर्ख गुलाब
सभी की नजरें उसी तरफ
आते जाते हर राहगीर की
छोटे छोटे बच्चों की ललचाई दृष्टि
वृद्धों की अपने अराध्य को चढाने के लिए
प्रेमियों की प्रेमिका को उपहार देने के लिए
माली सबसे बचा रहा
फूल सोच रहा है
यह लोग मुझे जीने नहीं देना चाहते
क्या दुश्मनी है मुझसे
मिट्टी मे से किसी तरह पला बढ़ा और पनपा
पशु -पक्षियों का खाध बनते रह गया
फिर कांटों ने आ घेरा
उनसे भी लोहा लेते
किसी तरह ऊपर आया
पूरे शबाब मे खिला
तब भी चैन और शांति नहीं
यही तो है जीवन का सार
जब तक जीना है
तब तक लड़ना है
हम जीवनरूपी युद्ध के योद्धा है
जहाँ हर दिन लड़ाई लडनी पड़ती है
अपने असतित्व को कायम रखने के लिए
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Wednesday, 13 March 2019
जब तक जीना तब तक लड़ना
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