यह दुनिया बड़ी जालिम है साहब
न सीधे चलती है
न चलने देती है
उल्टे भी नहीं चल सकते
तब भी छोड़ती नहीं
हर वक्त तलाश करती रहती है
मौका ढूढ़ती रहती है
कब किसमें क्या ऐब ??
बुराई करने मे पारंगत
बात का बतंगड़ बनाने मे महारथी
न जानती है
न समझती है
बस तोहमत लगाने को तैयार
कब किस बात को क्या से क्या बना दें
कब किसको नीचा गिरा दे
कब किसपर दोषारोपण कर दे
विश्वास नहीं किया जा सकता
जबान मे मिठास भर कर सब उगलवा लेंगे
फिर ढिंढोरा पीटेंगे
सहानुभूति के नाम पर
संभल कर रहना है
यहां कदम -कदम पर भेडिये घात लगाए बैठे रहते हैं
वार करने के लिए
जो दिखता तो नहीं है
पर खतरनाक साबित हो जाता है
बचे ऐसे लोगों से
जल्द विश्वास न करें
कब धोखा देंगे
कब दामन छोड़ेंगे
कब फब्तियां कसेंगे
आप का हितैषी बन दूर खड़े तमाशा देखेंगे
मजा लेंगे
हंसेंगे -मुस्कराएंगे
सतर्क रहे
प्रेम सबसे करें विश्वास नहीं
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Monday, 25 March 2019
अविश्वास की दुनिया
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