मेरा बेटा तो रोज ही इस पुल से जाता था
बचपन मे तो मेरे साथ जाता था
स्कूल छोड़ने जाती थी
रोता था
मचलता था
कभी कभी जिद करके लोट भी जाता था
पर फिर भी मैं घसीटते ले जाती थी
कभी मनुहार करती थी
कभी ऊपर ही छोडकर नीचे भी ऊतर जाती थी
आएगा अपने आप ही
पुल पर मेरा बच्चा सुरक्षित है
गाड़ी मोटर से बचा हुआ
वह बड़ा हो गया
अब काँलेज जाने लगा था
इसी पुल को पार कर जाता था
पर आज उसी ने उसे निगल लिया
वह ढह गया
अपने साथ ही मेरे बच्चे को भी ले गिरा
अब वह लौट कर नहीं आने वाला
जिसको मैं सुरक्षित समझ रही थी
उसीने उसको काल के गाल मे समा लिया
उसे है से था बना दिया
उसका जीवन छीन लिया
मां से उसका लाल
गोदी की शोभा को मिटा दिया
ऐसा पुल तो फिर बन जाएगा
पर मेरा बेटा अब लौट कर न आएगा
पुल दुर्घटना पर एक मां की व्यथा
No comments:
Post a Comment