चुनाव आ गए हैं
नेता जग गए हैं
जनता सबको याद आ रही है
फेरी लगना शुरू है
हर गली और नुक्कड़
सभाओ का दौर चल रहा
नेताजी दिन रात दौड़ लगा रहे
घर -घर जा रहे
हाथ जोड़ रहे हैं
वादे कर रहे हैं
जो पहले वाले नहीं हुए
उसका कारण बता रहे हैं
विपक्षी को जम कर कोस रहे हैं
जो मन मे आया वह बके जा रहे हैं
जबान फिसली जा रही है
काम को छोड़ सब बातें हो रही है
विकास दूर खड़ा हंस रहा है
सोच रहा है
हर पांच साल बाद यही सब होता है
जनता भी बातों मे आ जाती है
वह भी उनके वादे भूल जाती है
सारा दोष नेता पर ही क्यों??
जनता क्यों बात मे आती है
क्यों जाति -धर्म पर जाती है
खाने -पीने की लालच मे पहले वाला हिसाब करना भूल जाती है
देखती - परखती नहीं
बस बातों मे आ जाती है
असली मकसद तो भूल ही जाती है
उलझ जाती है
वोट दे आती है
नेताजी जीत जाते हैं
मजे करते हैं
गाड़ी मे घूमते हैं
मलाई खाते हैं
भोली जनता देखती रह जाती है
फिर उल्लू बन गई
यह सोच पछताती है
फिर पांच साल इंतजार करती है
जैसे ही चुनाव आता है
फिर भूल जाती है
नेता फिर जीत जाते हैं
ऐश करते है
अपना विकास करते हैं
पहले वह हाथ जोड़े
अब जनता हाथ जोड़ती है
उसके ही वोट से वह मालिक बन बैठा है
यह वह समझ नहीं पाती
ठगी जाती है हमेशा
फिर भी बात मे आ जाती है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Sunday, 24 March 2019
जनता हमेशा बातों मे आ जाती है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment