वह औरत है
सदियों से दबी कुचली
उसका जीवन ,उसका नहीं
दूसरों के लिए ही वह जीती
बेटी बनना
बहन बनना
पत्नी बनना
बहू बनना
मां बनना
जन्म देना
पालन पोषण करना
बस दूसरों के लिए जीना
उससे सबको अपेक्षा
पर उसकी भी तो कुछ अपेक्षा
पूरा करना तो दूर
ऊपर से उसकी उपेक्षा
वह तो कोई नहीं सोचता
वह भी मानव है
उसके पास दिल है
दिमाग भी है
शक्ति भी है
बिना उसके सब अधूरा
बहूमूल्य है वह
उसका सम्मान
उसकी अहमियत
यह तो आवश्यक है
औरत है अहम है
घर की रौनक है
इस रौनक को कायम रखना
इसका समाज है जिम्मेदार
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Sunday, 7 April 2019
औरत है वह
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