Tuesday, 9 April 2019

देशप्रेम बनाम देशद्रोह

देशद्रोह और देशप्रेम
आखिर है क्या ??
अगर सत्ता धारी पार्टी की आलोचना की जाय
उनके कामों का हिसाब मांगा जाय
प्रमाण मांगा जाय
तब यह देशद्रोह की श्रेणी मे
आज किसी को भी देशद्रोही करार दे दिया जा रहा
उनको पडो़सी देश मे जाने को कहा जा रहा
उनसे सांठगांठ का आरोप लगाया जा रहा
यह तो प्रजातंत्र नहीं है
प्रजातंत्र मे हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का हक है
अपने विचार रखने का हक है
इस आधार पर उसे
देशद्रोही या देशप्रेमी बता देना
यह तो किसी को शोभा नहीं देता
विशेष रूप से सत्ता पर आरूढ़ शीर्ष नेताओं को
यह भारत का प्रजातंत्र है
किसी की बपौती नहीं
आज तुम्हें बिठाया है
कल किसी और को
यह तानाशाही और बिगड़े बोल सहन करनेवाली जनता नहीं है
सब कुछ जानती है
समझती भी है
भारत आज तो बना नहीं है
आजादी को भी सत्तर साल से ऊपर हो गए हैं
जनता ने समय -समय पर अपना जलवा दिखा दिया है
सत्ता स्थायी नहीं होती
पर हमारा देशप्रेम स्थायी है
किसी को उंगली उठाने का अधिकार नहीं मिला है
पूर्वजों का खून -पसीना ,बलिदान शामिल है
सब इसी माटी के लाल है
नेता अपने कार्य गिनाए
उनका लेखाजोखा करें
देशप्रेम और देशद्रोह का सर्टिफिकेट देने की आवश्यकता नहीं है

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