कबूतर करता गुटरगूँ गुटरगूँ
इस छत से उस छत पर
इस खिड़की से उस खिड़की पर
दाना -पानी सब इसको मिल जाता
गेहूँ -बाजरी इसका प्रिय
शांति का यह प्रतीक माना जाता
निरीह जीव है यह
बिल्ली -कौए झपट्टा मारने को तत्पर
है तो यह भोलाभाला
पर इतना भी नहीं नादान
घर का कोना या मुंडेर पर
हक जमा कर बैठ जाता
जिद्दी इतना
खदेड़ने पर फिर -फिर आ जाता
यह शांतिदूत
गुटरगूँ गुटरगूँ करता रहता
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 3 April 2019
कबूतर की गुटरगूँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment