Saturday, 29 June 2019

स्वाद का राज

स्वाद की बात निराली
जो स्वाद पांच सितारा होटल में नहीं
वह नुक्कड़ के ठेले पर
सवाल पसंद नापसंद की है
जीभ के स्वाद की है
वही बात माँ के हाथ के बने खाने की भी
उसमें प्रेम परोसा रहता है
हाथ की खुशबू समाई रहती है
वही स्वाद ठेलेवाले के पास
उसकी चटनी भी चटखारे लेकर खाना
वह अपने ग्राहक से जुड़ा रहता है
तीखा या मीठा की मात्रा का भी अंदाजा उसे
पैसे न हो
दूसरे दिन पर छोड़ देना
एकाध पूरी ऐसे ही पकडा देना
यही अपनापन उसकी भेलपुरी को स्वादिष्ट बना जाते हैं
दिखावट नहीं
दोस्तों का जूठा भी प्रिय
स्वाद दिल से जुड़ा होता है
वह जीभ के रास्ते पहुंचता है
पर राज दिल पर करता है

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