विवाह कहने को एक खूबसूरत बंधन
हर कोई चाहता है
इस बंधन में बंधना
चाहत और विश्वास
समर्पण ,अपनापन
हर कोई चाहता है
यह सबको मिलें
यह तो होता नहीं
किसी की जिंदगी संवार देता है
किसी की बदहाल कर डालता है
किसी को स्वतंत्र कर देता है
किसी को गुलाम बना डालता है
जीवनसाथी अच्छा हो तो
स्वर्ग यही
न हो तो नरक यही
कितना अच्छा लगताहै कि
जब किसी पर अधिकार हो
पर यही अधिकार जब जंजीर बन जाय
तब तो इसको तोडना अच्छा
अगर संबंधों की कदर न हो
तब मजबूरी में निभाना
यह तो सरासर गलत
यह कोई फेवीकाल का जोड नहीं
जो एक बार चिपका तो फिर
सात जनम तक न टूटे
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