पैसा ही हमारी पहचान
पैसे से ही सब दरकार
यह हंसाता है
रुलाता है
जिंदगी की गाडी चलाता है
हर शख्स की यह जरूरत
यह मेहरबान तो गधा भी पहलवान
किसी को सर ऑखों पर बिठाया
तो किसी को सडकों की खाक छनवाया
यह वैसे तो किसी का सगा नहीं
आज यहाँ तो कल वहाँ
फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचाया
यह सदियों से अपनी बाजीगरी दिखाता रहा
लोगों को अपने इर्द-गिर्द नचाता रहा
उनकी औकात बताता रहा
कुशल कारीगर है
इसकी कारीगरी की तो दुनिया कायल
बहुरुपिया भी है
न जाने किस रूप से आए
अपना परचम फहराए
रातोरात आपका जलवा बिखर दे
सडकपति से करोड़पति बना दे
कहीं बरसों गुजर जाय इसकी कृपा में
कहीं क्षण भर में आपकी दुनिया पलट दे
आपको प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचा दे
यह जब बोलता है
तब सर चढकर बोलता है
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 18 July 2019
जब बोलता है तब सर चढकर बोलता है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment