Thursday, 18 July 2019

जब बोलता है तब सर चढकर बोलता है

पैसा ही हमारी पहचान
पैसे से ही सब दरकार
यह हंसाता है
रुलाता है
जिंदगी की गाडी चलाता है
हर शख्स की यह जरूरत
यह मेहरबान तो गधा भी पहलवान
किसी को सर ऑखों पर बिठाया
तो किसी को सडकों की खाक छनवाया
यह वैसे तो किसी का सगा नहीं
आज यहाँ तो कल वहाँ
फर्श से अर्श और अर्श से फर्श तक पहुंचाया
यह सदियों से अपनी बाजीगरी दिखाता रहा
लोगों को अपने इर्द-गिर्द नचाता रहा
उनकी औकात बताता रहा
कुशल कारीगर है
इसकी कारीगरी की तो दुनिया कायल
बहुरुपिया भी है
न जाने किस रूप से आए
अपना परचम फहराए
रातोरात आपका जलवा बिखर दे
सडकपति से करोड़पति बना दे
कहीं बरसों गुजर जाय इसकी कृपा में
कहीं क्षण भर में आपकी दुनिया पलट दे
आपको प्रसिद्धि के शिखर पर पहुँचा दे
यह जब बोलता है
तब सर चढकर बोलता है

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