Thursday, 4 July 2019

बरस बरस रे बदरा

बरस बरस रे बदरा
बरस बरस
बरस बरस रे अॅखिया
तू भी बरस
गरज गरज रे बदरा
गरज गरज
गरज गरज रे मनवा
तू भी गरज
सब भीगा
धरती से अंबर तक
मन भी भीगा
बाहर से अंतर्मन तक
सब भर आया
मन भी तो भर आया
यादें दबी पडी है
सब जम जम कर बरस रही है
भर भर बरस रही है
बरसों दबी पडी है
आज खुल कर निकल रही है
मौसम ने करवट ली है
सब कुछ याद दिला रहा
मन में हलचल मचा रहा
रह रह कर बिजली चमका रहा
ऑखों को छलका रहा
कुछ याद दिला रहा
कुछ कह रहा
कुछ सुन रहा
अपने आप में बतिया रहा
छलक छलक रे मनवा
छलक छलक
बरस बरस रे बदरा
बरस बरस

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