Wednesday, 24 July 2019

मानव ही बने दानव नहीं

कहावत है पुरानी
जड खराब हो तो फुनगी भी खराब
वह पनप ही नहीं पाती
यही हाल मनुष्य का है
सब कुछ हमारी जडो में निहित है
बाप दादा और पूर्वजों का बहुत कुछ हाथ है
जीवन संवारने और बनाने में
वे रीढ की मजबूत हड्डी समान है
कुछ खडा करने के लिए
एक दो पीढी लग जाती है
अगर जडो मे ही घाव हो तो
पेड सूख जाएंगा
फुनगी और डाली कभी पुष्पित और पल्लवित नहीं हो सकते
जीवन को बनाने में अकेले का हाथ नहीं रहता है
किसी की बरसो की मेहनत और त्याग समाया रहता है
तब जाकर कोई खडा होता है
यही पीढी दर पीढी चल रही है
अगर जड ही खराब हो तब अपेक्षा व्यर्थ
यह सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है
स्वयं को इस लायक बनाए
आनेवाली पीढी को शर्म नहीं गर्व महसूस हो
बात अमीर और गरीब की नहीं
बात जिम्मेदारी और भावनाओं की है
समाज और परिवार के प्रति जवाबदेही की है
उससे भागा नहीं जा सकता
जीवन मिला है मानव का
मानव ही बने दानव नहीं

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