Wednesday, 7 August 2019

झर झर बरस रहा

झर झर बरस रहा
मन हल्का कर रहा
कोई कहता
आफत की बारिश
कोई कहता
जरूरी है
उसे इन सबसे क्या लेना देना
वह तो कब से भरा पडा है
अब जाकर बरस रहा है
सारे बंधनों को तोड
बिना किसी की परवाह
बस अपनी ही सुन रहा
यह सब उसे सुकून भी दे रहा
बरस जाए जी भर कर
बहुत कुछ दबा पडा है
वह बाहर आ रहा है
छन छन कर
थम थम कर
गरज गरज कर
चमक चमक कर
जब बरस जाएगा जी भर कर
रिक्त हो जाएगा
तब अपने आप शांत हो जाएंगा
अभी तो भरा है
तभी उन्माद है
मन खुल जाएगा
तब स्वयं ही सब ठीक हो जाएगा

No comments:

Post a Comment