झर झर बरस रहा
मन हल्का कर रहा
कोई कहता
आफत की बारिश
कोई कहता
जरूरी है
उसे इन सबसे क्या लेना देना
वह तो कब से भरा पडा है
अब जाकर बरस रहा है
सारे बंधनों को तोड
बिना किसी की परवाह
बस अपनी ही सुन रहा
यह सब उसे सुकून भी दे रहा
बरस जाए जी भर कर
बहुत कुछ दबा पडा है
वह बाहर आ रहा है
छन छन कर
थम थम कर
गरज गरज कर
चमक चमक कर
जब बरस जाएगा जी भर कर
रिक्त हो जाएगा
तब अपने आप शांत हो जाएंगा
अभी तो भरा है
तभी उन्माद है
मन खुल जाएगा
तब स्वयं ही सब ठीक हो जाएगा
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Wednesday, 7 August 2019
झर झर बरस रहा
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