तेरा इंतज़ार था बेसब्री से
जब तक नहीं आई
सब तडप रहे थे
तप्त रहे थे
जल रहे थे
जब आई तो सुकून मिला
गर्मी से राहत मिली
धरती भी शीतल हुई
हरियाली की भी बहार आई
पेड़ पौधें सब लहर उठे
फूल और कली मुस्करा उठे
पर साथ में ले आई
आफत की बरसात भी
गड्ढे और जलजमाव
ट्रैफिक जाम
चारों तरफ कीचड़
घर से निकलना दुश्वार
फिर भी लोगों ने तुझे झेल लिया
क्योंकि तू जरूरत है
अब तो सब लबालब
फिर भी तू जमी हुई है
रह रह कर वर्षाव कर रही है
तेरा समय तो चार महीने का
पर तू अभी तक पैर पसारे हैं
त्यौहार आ रहे हैं और जा भी रहे हैं
सावन तो खत्म हुआ
गणेशचतुर्थी ,दशहरा और अब दीपावली
लगता है कि
सारे त्यौहार मना कर ही जाएंगी
लोग परेशान हैं
त्यौहार का आनंद भी अच्छी तरह न ले पा रहे हैं
पहले गुहार लगा रहे थे
आ आ आ आ
अब कह रहे हैं
जा जा जा जा
एक बडा संदेश भी मिल रहा है
तब तक रूको
जब तक आपकी अहमियत हो
ज्यादा दिन मेहमान रहोगे
तब खटकने लगोगे
यहाँ बिना मतलब कुछ भी नहीं
जब तक जरूरत
तब तक वाह वाह
नहीं तो फिर भाई
यह कहते देर नहीं
चल अपने घर का रास्ता नाप
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Sunday, 20 October 2019
चल अपने घर का रास्ता नाप
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