Saturday, 23 November 2019

क्या उडान है

मन को भी पंख होते हैं
मन की उडान असीमित होती है
मन कहीं की भी सैर कर सकता है
उसके लिए कोई रोक टोक नहीं
वह स्वच्छंद है
जहाँ चाहे वहाँ विचरण
जो सपना देखना हो वह देखे
उसके लिए कोई बंधन नहीं
कोई बंदिश नहीं
तब सपने देखने में हर्ज ही क्या है
इसके लिए कोई हर्जाना तो नहीं
शायद वह पूरा भी हो जाए
उडान भरे जी भर कर
सपने देखे जी भर कर
साकार करने का प्रयत्न करे जी भर कर
कल शायद वह सपना ,सपना न रहे
हकीकत बन जाए
आप उडान भर ऊंचाई पर पहुंच जाए
सपने केवल सोते हुए ही नहीं
जागते हुए भी देखना है
पंखों को फैलाना है
ऊंचा ऊंचा जाना है
इतना कि नीचे से लोग देखे
और कहें
क्या उडान है

No comments:

Post a Comment