Thursday, 28 November 2019

बहुत हो चुकी आपाधापी

बहुत हो चुकी आपाधापी
अब तो इस पर विराम चाहिए
कुछ तो आराम चाहिए
भागते रहे ,दौडते रहे
तिनका-तिनका जोड़ते रहे
आशियाना बनाते रहे
ख्वाब बुनते रहे
उसके लिए प्रयास करते रहे
बस अब तो इस पर विराम चाहिए
कुछ तो आराम चाहिए
होश संभाला जबसे
तबसे शुरू हुआ सारा सिलसिला
कभी यह कभी वह
करते करते जोड़ तोड़ करते रहे
हमेशा इच्छाओं के पीछे भागते रहे
स्वयं को उसी में झोकते रहे
कभी झुक गये
कभी समझौता किया
हर हाल में जिंदगी को खुशगंवार बनाने की कोशिश करते रहे
जिंदगी भी कभी धीरे चली
कभी ठुनक ठुनक कर चली
कभी थम थम कर चली
कभी सरपट दौड़ी
अब वह भी कितना साथ निभाएगी
कितना दौड़ लगाएंगी
समय का तकाजा है
बस बहुत हो चुकी आपाधापी
अब तो इस पर विराम चाहिए
बस इतना ही हो
यह सरपट न दौड़े
धीमे धीमे ही चले
बस लडखडाकर गिरे नहीं
स्वयं अपना सहारा बने
अब दूर से हर नजारे को देखे
महसूस करें
शांतचित्त हो जीवन व्यतीत करें
बहुत बोल चुके
बहुत सुन चुके
अब तो चुप रहना है
वाणी पर भी विराम चाहिए
नहीं किसी से दुश्मनी
न किसी से बैर
बस प्रेम चाहिए
बहुत हो चुकी आपाधापी
अब तो इस पर विराम चाहिए

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