Sunday, 3 November 2019

प्रकृति माँ को बख्श दो

वह माँ होती है
जो अपनी संतान की सुख सुविधा के लिए हमेशा तत्पर
हर त्याग को तैयार
अपने को भूला उस संतान लिए जीना
वह चाहे किसी की माँ हो
पशु पक्षी या फिर मानव
प्रकृति भी तो माँ है
वह बिना स्वार्थ के हमें देती है
हर बच्चा उसका अपना
तब माँ की देखभाल करना भी तो संतान का दायित्व
उसका दामन जब तक पकडे रहेंगे
कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता
पर उसके लिए माँ तो सही सलामत रहनी चाहिये
बिना माँ के बच्चे जैसा अभागा तो कोई नहीं
सारा संसार मिले न मिले
बस मां का हाथ सर पर हो
इससे ज्यादा सौभाग्य क्या होगा ??
जल का महत्व रेगिस्तान वालों से पूछा जाय
तब पता चलेगा
हमें सब मिला है
वह हम खत्म कर रहे हैं
प्रकृति के सारे स्रोतों का नाश
उसकी ही संतान
माँ तो आपको नहीं छोड़ रही
आप ही उसको खत्म कर रहे हैं
साथ ही साथ
अपने विनाश को निमंत्रण
यह तो शेखचिल्ली वाली बात हुई
जिस डाली पर बैठे हुए हैं
उसी को काट रहे हैं

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