Saturday, 16 November 2019

अपनों के खोने का दर्द बयां नहीं किया जा सकता

आदमी चला जाता है
रह जाती है यादें
अच्छी-बुरी
खट्टी - मीठी
समय समय पर यादें दस्तक देती है
हमें अतीत के झरोखो में ले जाती है
कभी हंसाती है
कभी रूलाती है
कभी मायूस करती है
आज हमारा अपना ,अपने साथ क्यों नहीं है
क्यों वह उस जगह चला गया
जहाँ से लौट कर फिर आ नहीं सकता
काश ऐसा होता
वह फिर आ जाता
साथ रहते
हंसते रोते
लडते झगड़ते
मनमानी करते
हक जताते
परेशान करते
पर यह संभव नहीं
जो एक बार छोड़ गया
फिर वापस नहीं आते
हम केवल याद कर सकते हैं
जाने वाला तो उस दुनिया में भले सुकून से हो
पर हमें तो जिंदगी भर का दर्द दे जाता है
स्वय तो चला जाता है
हमको यादों में जीने के लिए छोड़ जाता है
अपनों को खोना आसान नहीं
भूलाना आसान नहीं
जीते हैं भले लोग
पर अपनों की याद जब आती है
तब ऑख जरूर भर आती है
कितना भी समय बीत जाय
पर समय-समय पर अपनों की याद तो आती है
भले कह नहीं पाते
ऊपर से मुस्कराहट बिखेरते हैं
अंतरात्मा तब भी रोती है
काश वह हमारे साथ होते
तब बात भी कुछ और होती
अपनों के खोने का दर्द बयां नहीं किया जा सकता
यह वह पीडा है जो आसानी से खत्म नहीं होती
जब तक जीते हैं तब तक वह दंश तो सहते हैं
आदमी चला जाता है
रह जाती है यादें

No comments:

Post a Comment