Thursday, 12 December 2019

वह याद आ गए

वह याद आ गए
आए तो बहुत याद आए
मन भावविभोर हो गया
वह जो लम्हे गुजारे थे साथ में
वह धीरे-धीरे गुजरने लगा
ऑखों के सामने लगा
वह दिन और रातें
वह मौसम सुहाना
वह रिमझिम बरसात
वह कडकती ठंडी
रजाई में दुबकते
हीटर से हाथ सेंकते
वह भूनी मूंगफली चटनी लगाकर
चटखारे ले और सी सी कर खाते
वह फिल्म देखते और चर्चा करतें
वह नदी किनारे टहलना
नाव में बैठ सैर करना
पैर से रेत उडाना
वह छीना-झपटी
छोटी छोटी बातों पर तकरार
बच्चों जैसा मुंह फुलाना
फिर मनाना
ऐसी न जाने कितनी बातें मन में समाई
सब याद आता है
जब वे याद आते हैं
इन यादों की बारात के साथ चलती हूँ
होठों पर मुस्कान भरती हूँ
कुछ गीत गुनगुनाती हूँ
मन ही मन बात करती हूँ
यादों से मन बहलाती हूँ
यादों के झरोखे में जब तब झांकती हूँ
इन झांकियों को जी भर कर निहारती हूँ
ये अमूल्य पूंजी है मेरी
इनसे छेडछाड की किसी को इजाजत नहीं

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