आज खाते खाते दांतों से
अचानक मोह जाग उठा
मन में कुछ गुजरने लगा
सोचने लगी
यह सब एक एक कर जा रहे हैं
साथ छोड़ रहे हैं
बचपन से लेकर आज तक साथ निभाया
जन्म के बाद आते हैं
मृत्यु से पहले ही चले जाते हैं
बचपन में तोतली बोली के साथ हंसते बतियाते
बुढापे में भी तुतलाते
मन भर साथ निभाते
कच्चा पका
खट्टा मीठा
तीखा कडवा
कडा नर्म
सब को निगलते
हर निवाले के साथ रहते
स्वाद का संसाधन
यह भी साथ छोड़ रहे हैं
मोह भंग कर रहे हैं
सचेत कर रहे हैं
अब बस शांत रहना है
धीरे-धीरे सबका साथ छूट जाना है
अंत समय में बस ईश्वर का साथ ही रहना है
अब भी समय है
भजले राम भजन
अब भी है समय
भजले राम भजन
मुख में दांत
पेट में आंत
का जब तक है निवास
तब तक लगा ले अपना बेडापार
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 12 December 2019
भजले राम भजन
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment