तब बहुत छोटी थी
बात भी बहुत छोटी है
वह बचपन था
माँ रोटी बनाती
हम थाली लेकर बैठे रहते सामने
पहली रोटी निकलती
माँ वह मुझे देती
मैं कहती
भैया को दे
वह छोटा है
खेलकर आया है
बहुत भूखा है
पर माँ वह पहली रोटी
कभी भैया को नहीं देती
कहती घर का मर्द है
लडाई होगी भाई - पटीदारो में
तब पहली लाठी इसे लगेगी
फिर मजबूत रहेगा
तो तेरी रक्षा करेगा
माँ को भी यह धारणा शायद विरासत में मिली हो
आज भले समय बदला है
फिर भी भाई की एक अलग ही बात होती है
वह छोटा हो
बडा हो
पर बहन के लिए तो हमेशा हाजिर रहता है
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Sunday, 15 December 2019
वह पहली रोटी
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