ज्वार ,बाजरी ,रागी ,नाचणी
सब हो गए थाली से गायब
जबसे तरह -तरह के गेहूं ने डाला डेरा
सावा ,कोदो सब हो गए दुर्लभ
जब से चावल ने मचाया बवाल
अब तो इन दोनों का राज
मैदा - रवा नचा रहे
बीमारी को निमंत्रण दे रहे
इनके कारण शक्ति हो गई हवा
अब तो पावरोटी खाएंगे
बर्गर पिज्जा अपनाएंगे
रोटी भाकरी में क्या रखा है
न उनकी कोई सूरत न सीरत
मौसम बदलते थे
उनके साथ भोजन बदलता था
अब तो है यह सब सदाबहार
क्योंकि बेकरी का है साथ
तरह-तरह के पकवान
जब जी चाहे ले लो
न कोई झंझट न टंटा
बस जेब पर चलता डंडा
जेब अगर है भारी
तब तो जरूर आएगी बीमारी
अपने संग नचाएगी
स्वादिष्ट हो उल्लू बनाएगी
कभी मैगी कभी पास्ता
कर डालेगी शरीर का रायता
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Tuesday, 3 December 2019
शरीर का रायता
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