Friday, 13 December 2019

यही मेरी पहचान

मैं बेरोजगार हूँ
मैं बेकार हूँ
मैं नाकारा हूँ
मैं आवारा हूँ
मैं आलसी हूँ
मैं निठल्ला हूँ
यह सब तमगे मुझे मिले हैं
लेकिन उनके साथ एक और तमगा भी
वह है मेरी इंजीनियरिंग की डिग्री
बहुत मेहनत से मिली है
दिन रात खफाया है
दिन और रात एक कर दिया
माँ - बाप ने मुश्किल से पैसा जुटाया
मेरी फीस और शिक्षा के लिए
सबकी आशाओं पर पानी फेर दिया
अरमान धरे के धरे रह गए
यह सब क्यों है
क्योंकि मैं भारत का युवा हूँ
बेरोजगारी का मारा हूँ
मुफ्त की रोटियाँ तोडता हूँ
मेरे पास काम नहीं है
मैं मुहल्ले में आवारागर्दी करता हूँ
अब से यही मेरी पहचान है

No comments:

Post a Comment