Saturday, 14 December 2019

आभार प्रकृति का

काली स्याह रात
नीला आसमान
खिलते तारे
चमकती चांदनी
उगता ललाभ सूरज
सुनहरी सुबह
खिलती कलियाँ
लहलहाती फसलें
झूमती बालिया
विचरती हवा
रिमझिम बरसात
कडकती ठंडी
लहराती नदी
उफनता समुंदर
उन्नत खडे पेड
झरझराता झरना
चहकती चिडिया
कुहूकती कोयल
नाचता मोर
घनेरे जंगल
दहाड़ते शेर
उछलते जानवर
न जाने कितनी सौगात मिली मानव को
आभार माने प्रकृति का
खुशकिस्मत है
सब जीवों से भिन्न
पर सब उसके संग

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