Sunday, 12 April 2020

मृत्यु का डर

आज मन विचलित है
नींद नहीं आ रही
दिमाग में कुछ उमड घुमड रहा है
विचारों का झुंड है
पर विषय एक ही है
  करोना
समाचार देख
मोबाइल देख
टेलीविजन पर खबर
हर जगह हाहाकार
परमाणु बम बनाने वाला यह मानव
आज कितना विवश
सब विवश
कब कहाँ से और कैसे आक्रमण
यह समझना मुश्किल
हाथ पर हाथ धोएं जा रहे हैं
मास्क लगा रहे हैं
दूरी बना रहे हैं
फिर भी डर तो समाया
यहाँ तक कि सपने में भी
कितना खौफ
क्या है जीवन
क्या है इसका सार
मौत के मुहाने पर खडा मानव
लडता रहता है
सभी आपदाओं से
कभी अकाल
कभी भूकंप
कभी बाढ
कभी महामारी
और युद्ध भी
जिसका रचनाकार तो वह स्वयं
जीवन की जद्दोजहद के बीच
हम फंसे रहते हैं
क्या यही मानव की अहमियत
हमेशा डरा और सहमा
मृत्यु के नाम पर

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