Friday, 1 May 2020

मौत तू कितनी निर्मम और निष्ठुर

मौत तू कितनी निर्मम और निष्ठुर
दबे पैर आती है
जिंदगी को सबसे छीन ले जाती है
व्यक्ति की मुस्कान को अवरुद्ध कर डालती है
तुझसे हर कोई डरता है
कोई कितना भी जतन करे
पर तेरे कहर से कोई बच नहीं सकता
एक जिंदादिल व्यक्ति को लाश में तब्दील कर जाती है
तेरे कदमों की आहट जीना दुश्वार कर देती है
जो तुझे बुलाता है
उसके पास तू आती नहीं
जो तुझे नहीं बुलाता
चोरी छिपे आ ही जाती है
समय पर तू आए
तो कोई बात नहीं
तेरा स्वागत है
पर असमय
जीने का अधिकार छिन लेती है
अपनो से दूर कर देती है
लोगों को बेसहारा और अनाथ कर जाती है
एक को तो अपने साथ ले जाती है
उनके अपनों को जीते जी मार डालती है
हमेशा के लिए रोने को छोड़ जाती है
उनकी खुशी और मुस्कान को अपने साथ ले जाती है
इससे तुझे कौन सा सुकून मिलता है
कैसी खुशी मिलती है
यह तो तू ही जाने
अमरता का वरदान नहीं चाहता कोई
पर जी भर जीना तो चाहता है
कुछ करना चाहता है
अपनो के साथ रहना चाहता है
सुख दुःख बांटना चाहता है
आनंद लेना चाहता है
पर तू तो यू आती है
यू जाती है
पल में देखते देखते सब खेल खत्म
एक ही पल में न जाने कितनी जिंदगानी को खत्म करती
व्यक्ति और उसके अजीज सबकी
तुझे दया नहीं आती
तू इतनी निर्मम और निष्ठुर

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