मौत तू कितनी निर्मम और निष्ठुर
दबे पैर आती है
जिंदगी को सबसे छीन ले जाती है
व्यक्ति की मुस्कान को अवरुद्ध कर डालती है
तुझसे हर कोई डरता है
कोई कितना भी जतन करे
पर तेरे कहर से कोई बच नहीं सकता
एक जिंदादिल व्यक्ति को लाश में तब्दील कर जाती है
तेरे कदमों की आहट जीना दुश्वार कर देती है
जो तुझे बुलाता है
उसके पास तू आती नहीं
जो तुझे नहीं बुलाता
चोरी छिपे आ ही जाती है
समय पर तू आए
तो कोई बात नहीं
तेरा स्वागत है
पर असमय
जीने का अधिकार छिन लेती है
अपनो से दूर कर देती है
लोगों को बेसहारा और अनाथ कर जाती है
एक को तो अपने साथ ले जाती है
उनके अपनों को जीते जी मार डालती है
हमेशा के लिए रोने को छोड़ जाती है
उनकी खुशी और मुस्कान को अपने साथ ले जाती है
इससे तुझे कौन सा सुकून मिलता है
कैसी खुशी मिलती है
यह तो तू ही जाने
अमरता का वरदान नहीं चाहता कोई
पर जी भर जीना तो चाहता है
कुछ करना चाहता है
अपनो के साथ रहना चाहता है
सुख दुःख बांटना चाहता है
आनंद लेना चाहता है
पर तू तो यू आती है
यू जाती है
पल में देखते देखते सब खेल खत्म
एक ही पल में न जाने कितनी जिंदगानी को खत्म करती
व्यक्ति और उसके अजीज सबकी
तुझे दया नहीं आती
तू इतनी निर्मम और निष्ठुर
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Friday, 1 May 2020
मौत तू कितनी निर्मम और निष्ठुर
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