आज कुछ दृश्य देखकर दिल दुखी हो गया
मुंबई से रेलगाड़ी छोड़ी गई
मजदूर और प्रवासी भाई खुश भी हुए
यह होना स्वाभाविक भी है
अपने घर परिवार से मिलेंगे
अपने गाँव पहुँच जाएंगे
विपदा की इस घडी में परिवार के साथ रहना सभी को
ठीक भी है
ऐसा नहीं कि उन्हें भगाया गया
परेशानिया है
वह सभी को है
सरकार और सामाजिक संस्थाए मदद भी कर रही है
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने स्वयं आश्वासन भी दिया
आखिर वह घडी आ गई
उनके जाने का इंतजाम हो रहा है
पर इस तरह जाना
प्लेटफॉर्म पर मिला हुआ खाना फेंकना
अन्न का अपमान
पुलिस को गाली देना
महाराष्ट्र मुर्दाबाद के नारे लगाते जाना
इतना कृतघ्न कैसे हो गए
जिस प्रदेश ने रोजी-रोटी दी
उसी के लिए ऐसे शब्द
आप विदेश में भी नहीं है
महाराष्ट्र इसी देश का हिस्सा है
आज तो जा रहे हो
गालियां देते हुए
कल को जब करोना खत्म हो जाएगा
तब फिर जरूरत होगी
तब किस मुंह से यहाँ का रूख करोंगे
शर्म नहीं आती
जो पेड़ छाया देता है
उस पेड़ की हर पत्ती आदरणीय होनी चाहिए
आज विपदा आई है
तो ऐसा निकल रहा है
कृतज्ञता को तो घोल कर पी गए हैं
फिर जब कोई कहता है
कि ये लोग तो ऐसे ही होते हैं
इनको यहाँ से भगाओ
तब फिर क्यों नागवार गुजरता है
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