Wednesday, 10 June 2020

तू तो इंसान है

हमको सदियों से कैद कर रखा है
हमारे घर छीन कर हमें पिंजरो में बंद कर रखा है
हमारा हर अधिकार छीन रखा है
घूमने की
खाने की
इधर-उधर भटकने की
कुलांचे मारने की
दौडने की
हर आजादी पर पहरा
तू तो रहा आजाद
हम पर लगाई बंदिशो का घेरा
वह भी अपने मनोरंजन के लिए
हमें कैद देख तू खुश होता है
अपने बाहुबल पर घमंड करता है
इतराता है
सोचता है
देखो इतने खूंखार और बलवान को कैसे कैद किया
अपनी ऊँगली पर नचाते हैं
सर्कस में तमाशा बनाते हैं
उद्यानों में प्रदर्शनी लगाते हैं
उन पर क्या क्या नहीं फेंकते
क्या क्या जुल्म नहीं करते
हमको देख सब ताली बजाते हैं
अब तुझे भी इस अवस्था में देख मन कुछ कह रहा है
तू तो कुछ दिन ही घर में
तब भी भारी
हमारी सोच
जिसको तूने ताउम्र कैद कर रखा है
हम सिर पटकते रहे
तू हंसता रहा
हमारी हर हरकत पर
अरे हम तो पशु है
पर तू तो इंसान है
हैवान तो नहीं

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