लहरें कब रूकती है
उछाल मारना तो उनका स्वभाव
हवा कब रूकती है
चलना तो उनका स्वभाव
ऐसे ही तो हम भी है
काम करना
घूमना फिरना
मेल मिलाप हमारा स्वभाव
यही तो हमारे जीने का जरिया
देखा जाय तो
लहरे भी ज्वार भाटा के समय शांत
हवा भी कभी-कभी शांत
तब इस समय हमें भी शांति से रहना है
हलचल तो रूकेगी नहीं
वह तो होगी ही
पर शांति और धीरज से
जब यह समय गुजर जाएं
तब प्रसन्न हो मनसोक्त करना
जैसे चाहे अपना जीवन जीना
इस समय थोड़ा रूककर
थोड़ा सोच समझकर
थोड़ा अनुशासित
तब सब आनंदित
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Thursday, 11 June 2020
तब सब आनंदित
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment