बचपन में सुनी थी हाथी और दर्जी की कहानी
एक हाथी था वह हर रोज तालाब पर पानी पीने जाता
रास्ते में एक दर्जी की दुकान पडती थी
दर्जी उसे हर रोज केला खिलाया करता था
हाथी वापस लौटते समय कमल का फूल लाकर देता था
एक दिन दर्जी को मजाक सूझा
जैसे ही हाथी ने केले के लिए सूंड आगे बढाया
दर्जी ने सूंड में सुई चुभा दी
हाथी चुपचाप चला गया
आते समय वह सूंड में गंदा पानी भर कर लाया
दर्जी की दूकान पर उडेल दिया
उसके दुकान के सारे कपडे खराब हो गए
अब दर्जी पछता रहा था
मजाक भारी पडा था
कहने का तात्पर्य
जानवरों से मजाक मत करो
अगर वह अपने वहशीपन पर उतर आए
तब तो तुम्हारी खैर नहीं
बहुत सो घटनाएं हो चुकी है
पर तब भी लोग बाज नहीं आते
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Thursday, 4 June 2020
हाथी और दर्जी की कहानी
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