लाकडाऊन चल रहा है
घर में भी है रवा - मैदा
कुछ काम नहीं
तब देखी जाती है रेसिपी
सबसे आसान और सबको पसंद केक
हर चौथे दिन अलग अलग वेरायिटी के केक
सब घोलघाल कर ओवन में रख दो
टाइम फिक्स कर लो
हो गया तैयार
एक जमाना था
जब केक नहीं
गुझिया , शकरपारे और बालुशाही होती थी
कई दिनों से तैयारियां चलती थी
कई दिनों तक बनती थी
कई दिनों तक खाई जाती थी
लगता था मिठाई है
कई दिनों तक मिठास रहती थी
बच्चे मंडराया करते थे
एहसास हो जाता था
कोई त्योहार आ रहा है
उत्सुकता बढ जाती थी
खुसर फुसर होती थी
होली और दीवाली पर तो और भी ज्यादा
आज तो हर दिन होली और दीवाली
फिर भी त्योहारों का रंग है फीका
मिठाईयो की मिठास गायब
अब केडबरी है
तरह तरह के केक है
नयी पीढ़ी को वही पसंद
लड्डू - बर्फी और पेडे के दिन गए लद
ज्यादा हुआ तो एक पीस ले ली
वह भी काजू कतली
खोआ - मावा को गए भूल
मिठाई हो गई पुरानी
नए जमाने की नई कहानी
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Friday, 5 June 2020
नए जमाने की नई कहानी
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