Saturday, 1 August 2020

प्रभु का धन्यवाद

क्या यही काफी नहीं है
आज सुबह आपकी ऑख खुली
एक बहुमूल्य जीवन मिला
ईश्वर की इतनी बडी कृपा
लोग जीवन गंवा रहे हैं
सांस आ और जा रही है
दुआ मांग रहे हैं
अपने दूर हो रहे हैं
अपनों को खो रहे हैं
लाचार और मायूस है
उनके पास तक नहीं जा सकते
स्पर्श नहीं कर सकते
सर पर हाथ नहीं फेर सकते
दो पल बात नहीं कर सकते
अंतिम बिदाई नहीं दे सकते
सब जगह भय ही भय
मन डरा हुआ
प्रकोप का साया हर पल साथ साथ
ऐसे समय में जो सांस चल रही है
जीवन ऑख खोल रहा है
सुबह का सूरज देख रहे हैं
यह बहुत बडा सौभाग्य
सूर्य को प्रणाम करें
दुआ मांगे
हर किसी को यह सुहावनी सुबह का दर्शन हो
हर दिन नया
जीवन भी नया
उसका स्वागत करें
हाथ जोड़ प्रभु का धन्यवाद करें ।

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