Saturday, 19 September 2020

मैं माॅ हूँ न

आज बहुत थकान लग रही है
मन विचलित हो रहा है
कुछ करने का मन नहीं है
घुटनों का दर्द बढ गया है
आज पूरा दिन आराम करूँगी
यह सोच चादर ओढ लिया

अचानक आवाज आई
माॅ माॅ माॅ
दरवाजा खोलो जल्दी
बहुत भूख लगी है
खाने को कुछ दो

अरे तू तो कल आने वाला था
तब फिर
आज काम हो गया तो गाडी पकड़ ली
घर पर चल भर पेट खाऊँगा
और जी भर कर सोऊँगा
आज बस आराम करना है
अभी फ्रैश होकर आता हूँ

आराम गया तेल लगाने
चलो किचन में
कुछ बनाओ
इतनी दूर से आया है
थका हारा , भूखा प्यासा

अरे तुम्हारे दर्द का क्या
आराम का क्या
अचानक अंदर से आवाज आई
हंसते हुए कहा
सब काफूर हो गया
मैं माॅ हूँ न
मेरा दर्द क्या और आराम क्या ??

No comments:

Post a Comment