Sunday, 20 September 2020

जब तक सांस तब तक काम

हर रोज सुबह होती है
हर रोज शाम होती है
हर रोज रात होती है
जिंदगी भी इन्हीं के साथ कटती जाती है
कभी-कभी मन करता है
आज सोते रहो
उठने की इच्छा नहीं
तब भी तो उठना ही है
काम करना ही है
हर रोज की तरह
सुबह और शाम की भी तो यही बात
किसी को उगना है
किसी को जाना है
फिर आना है
यह जीवन-चक्र चलता रहता है
यहाँ हमारी इच्छा नहीं चलती
प्रकृति काम करती है
हम भी करते रहते हैं
कोई किसी से प्रश्न नहीं करता
यही तो जीवन है
जीवन है तो कर्म भी है
वह तो साथ साथ ही रहेगा
जब तक सांस है
तब तक काम
फिर इसमें आलस का क्या स्थान

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