बेटी पापा की हो
या
दादा की हो
बेटी तो बेटी ही होती है
वह घर उसका होता है
उसके पापा का
उसके भाई का
एक की बेटी
एक की बहन
कभी-कभी दादा की बेटी को अनदेखा
उतना मान और प्यार नहीं
जो पहले होता था
पापा की बेटी को हाथो हाथ लेना
उसकी हर इच्छा पूरी करना
पहले वाली बेटी अब बुआ है
उसके पापा अब दादा है
उसका भाई किसी का पापा है
समय के साथ बदलाव
लेकिन एक चीज जो नहीं बदला
वह इस घर की बेटी
पहले भी थी
अब भी है
तब नजरिया क्यों बदला
उसका भी इतना ही ध्यान रखना है
जैसे अपनी बेटी का
उसको एहसास कराना है
यह घर उनका भी है
हर बेटी बुआ बनेंगी
पर वह बेटी हमेशा रहेंगी
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Sunday, 27 September 2020
बेटी तो हमेशा रहेंगी
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