मैं बडा
मैं अच्छा
मैं महान
मैं मिलनसार
मैं दानदाता
मैं विनम्र
मैं समझदार
मैं क्षमाशील
मैं त्यागी
मैं सच्चा
सारे गुण मुझमें
तब फिर क्यों नहीं बन पाता अपना
वह बात कुछ यू है
आप सर्वश्रेष्ठ हो
सर्वगुण हो
पर अंहकार से घमंड से चूर हो
अंहकारी और घमंडी के नजदीक कोई नहीं जाना चाहता
आत्मसम्मान तो सबको प्यारा होता है
उसकी हत्या करना
यह सबके बस की बात नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday, 27 October 2020
यह सबके बस की बात नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment