Tuesday, 27 October 2020

यह सबके बस की बात नहीं

मैं बडा
मैं अच्छा
मैं महान
मैं मिलनसार
मैं दानदाता
मैं विनम्र
मैं समझदार
मैं क्षमाशील
मैं त्यागी
मैं सच्चा
सारे गुण मुझमें
तब फिर क्यों नहीं बन पाता अपना
वह बात कुछ यू है
आप सर्वश्रेष्ठ हो
सर्वगुण हो
पर अंहकार से घमंड से चूर हो
अंहकारी और घमंडी के नजदीक कोई नहीं जाना चाहता
आत्मसम्मान तो सबको प्यारा होता है
उसकी हत्या करना
यह सबके बस की बात नहीं

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