Sunday, 18 October 2020

ग्रहण और जिंदगी

ग्रहण सूरज पर लगता है
चांद पर लगता है
तब हम प्रार्थना करते हैं
ईश्वर के लिए भी
जल्दी ग्रहण छूटे
मुक्त हो
समाप्त होने पर दान दिया जाता है
जब तक नहीं छूटता
हम सब प्रतीक्षा करते हैं

जीवन पर भी बीच बीच में ग्रहण लगता रहता है
कभी-कभी हम अंधेरे में घिर जाते हैं
घनघोर निराशा छा जाती है
हम कोशिश करते हैं
उससे मुक्त होने की
प्रयास जारी रहता है
जब उस अंधेरे से बाहर निकल जाते हैं
जिंदगी की गतिविधि चल पडती है
कभी छाया कभी उजाला
किस्मत  का खेल निराला

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