Tuesday, 20 October 2020

घर और बाहर

आप परेशान हैं
बाहर आपकी छवि कुछ घर में कुछ
यह दोतरफा
कुछ समझ नहीं आता
असमंजस में रहता है शख्स
मैं यह हूँ
या वह हूँ
घर में बिल्ली बाहर चूहा
कैसा है यह खेल निराला
ऑख मिचौली खेलते खेलते जिंदगी खत्म होने के कगार पर
आप तब तक गफलत में
घर में चुड़ैल और नागिन
बाहर मीठी मीठी कोयल
तब असलियत क्या है
यह छवि क्यों है
इसको बनाया किसने
इस मिथक को तोडो
गलतफहमी को दूर करों
आप तो वही  है
जो घर में या बाहर में
घर और बाहर के बीच फंसा
अपनों और परायो का फर्क  न समझा
तब भी साथ निभाता
अपना फर्ज निभाता
कभी अपनी नजरों में गिरता
कभी दूसरों की नजरों में
अपनी इज्जत
अपना सम्मान
अपने हाथों
फिर वह घर हो या बाहर

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