Tuesday, 27 October 2020

एक शराबी की जुबानी

तू है मेरी जान
तेरे बिना मैं बेहाल
मेरे रातों की नींद तू
मेरे दिल का चैन तू
मेरी हमसफर
मेरी दिलरुबा
मेरे अकेलेपन की साथी
मैं और तू
उसमें नहीं किसी और का काम
तुझसे बिछुडना नहीं गंवारा
कोई नाराज हो या खुश
उसकी नहीं कोई परवाह
तू ही खुदा मेरी
तुझमे सारा जग दिखता
मेरी दुनिया तुझमे समाई
एक बार जब थाम लिया
तब सब स्वर्ग का आंनद मिल गया
घूंट घूंट उतरती तब दिल को ठंडक मिलती
अमृत की बूंदों की तरह छलकती
गले को तर करती
कुछ न साथ बस हो तेरा साथ
तब क्या गम
मेरा सब गम तू हर लेती
सब दुख दर्द भूला देती
जब एक घूंट अंदर जाती
तब सब कुछ हो जाता हवा हवा
मदहोशी का आलम
साकी और प्याला
इससे दूजा न कोई प्यारा
तू ही मेरी जान
तू ही मेरा जहान
तुझ बिन लागे सब अधूरा
तू है मेरी प्यारी शराब

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