Friday, 13 November 2020

कहानी में जीवन

जिंदगी तो एक कहानी ही है
वह बोलचाल से चलती रहती है
नित नए-नए अनुभव
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक
दादी और नानी से
आज जब बातचीत ही नहीं
तब यह कहानी का क्या ??
कैसे जिंदगी का वर्णन
कैसे प्रेरित करेंगी
सब स्वयं में गुम
तब तो किताबों में लिखी जाती थी
आज तो वह भी खत्म होने की कगार पर
डिजिटल है सब
इन सबमें असली जिंदगी छूटी जा रही है
ज्यादा हुआ तो मिटा लो
जीवन न हुआ कोई खिलवाड़ हो गया
संघर्ष क्या वह कैसे पता
वह तो कहानी से ही पता
वह कहानी बहुत कुछ कहती थी
बातों ही बातों में
मनोरंजन में
कभी हंसाती थी
कभी रूलाती थी
कभी उत्साह बढाती थी
कभी उठा कर खडा कर देती थी
मरणासन्न को जीवन दान दे देती थी
जीवन का पाठ हल्के से हौले से सिखा जाती थी
बहुत कुछ कह जाती थी
वह उस दौर का प्रमाण होती थी
कहानियों में युग छुपा होता था
जब जीवन ही कहानी है
तब उससे दूर कैसे जा सकते हैं
कहानी में जीवन
जीवन में कहानी
यही है युग युग की जबानी

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