पूछता है भारत
यह हो क्या रहा है
पत्रकार और पत्रकारिता
इनका क्या हाल बना रखा है
जोर जोर से चिल्लाना
एक ही चीज को बार-बार दिखाना
पूरा दिन अलग-अलग एंगल से
सब महत्वपूर्ण बातें छोड़
जासूसी करना
खोजबीन करना
फिर अपना निर्णय सुनाना
कुछ काम पुलिस पर छोड़ दें
कुछ काम न्यायालय पर छोड़ दे
यह उनका अधिकार क्षेत्र है
उसमें दखलंदाजी क्यों
एक आत्महत्या क्या हुई
पूरा मीडिया उबल उबल पडा
सच क्या झूठ क्या
यह तो समय बताएंगा
किसी को भी बिना जाने सुने दोषारोपण
अब अब तुमसे भी पूछता है भारत
नाटक और नौटंकी
बहुत हुई
सच क्या है
सच दिखाओ
सच का साथ निभाओ
किसी राजनीतिक दल का पिठ्ठू नहीं
एक पत्रकार का फर्ज निभाओ
फर्जी नहीं असली पत्रकारिता
अपने आप को पहचानो
अपनी जिम्मेदारी का एहसास करो
यही तो पूछता है भारत
यही तो कहता है भारत
प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ का मान रखे
हर पत्रकार और उसकी पत्रकारिता
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Friday, 6 November 2020
पूछता है भारत
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