Friday, 6 November 2020

पूछता है भारत

पूछता है भारत
यह हो क्या रहा है
पत्रकार और पत्रकारिता
इनका क्या हाल बना रखा है
जोर जोर से चिल्लाना
एक ही चीज को बार-बार दिखाना
पूरा दिन अलग-अलग एंगल से
सब महत्वपूर्ण बातें छोड़
जासूसी करना
खोजबीन करना
फिर अपना निर्णय सुनाना
कुछ काम पुलिस पर छोड़ दें
कुछ काम न्यायालय पर छोड़ दे
यह उनका अधिकार क्षेत्र है
उसमें दखलंदाजी क्यों
एक आत्महत्या क्या हुई
पूरा मीडिया उबल उबल पडा
सच क्या झूठ क्या
यह तो समय बताएंगा
किसी को भी बिना जाने सुने दोषारोपण
अब अब तुमसे भी पूछता है भारत
नाटक और नौटंकी
बहुत हुई
सच क्या है
सच दिखाओ
सच का साथ निभाओ
किसी राजनीतिक दल का पिठ्ठू नहीं
एक पत्रकार का फर्ज निभाओ
फर्जी नहीं असली पत्रकारिता
अपने आप को पहचानो
अपनी जिम्मेदारी का एहसास करो
यही तो पूछता है भारत
यही तो कहता है भारत
प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ का मान रखे
हर पत्रकार और उसकी पत्रकारिता

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