Wednesday, 16 December 2020

आईना तो वही है

जिंदगी की आपाधापी में इतना मशगूल हो गए
आईना ही देखना भूल गए
अपने आप से अंजान हो गए
जमाना बीत गया
हम कैसे हैं
कैसे दिखते हैं
इस ओर कभी ध्यान ही न दिया
इतना व्यस्त हो गए
कभी फुरसत ही न मिलीं
बहुत बरसों बाद जब ध्यान से निहारा
लगा आईना कुछ बोल पडा
आज याद आई है मेरी
ध्यान से देखो
अपने आपको
तुम वही हो क्या
अपने को पहचानो
अरे । कितना कुछ बदल गया
यह चेहरा भी अंजान सा लगता है
याद आ गई
पुराने दिनों की
जब घंटों इसके सामने खडे रहते थे
तरह-तरह से मुंह बनाते थे
हंसते और मन ही मन मुस्कराते थे
इसके सामने से हटने का मन ही नहीं करता था
समय ने ऐसा पलटा खाया
इसके सामने खडे रहने का समय ही न मिला
आज जब मिला है
तब स्वयं ही को न पहचाना
पिछले सालों में कितना कुछ बदला
आईना तो वहीं है
हम वह नहीं है

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