Wednesday, 16 December 2020

मन को झटका

नई-नई गाडी ली
बहुत खुशी हुई
दो - चार दिन तो ठीक-ठाक रहा
अचानक एक दिन एक डंपर ने टक्कर मार दिया
गाडी कुछ पिचक गई
सर्विस सेन्टर मे दिया
उन्होंने ठोक पीट कर फिर बराबर कर दी
इंसुरेस था पैसा भी कुछ ज्यादा खर्च नहीं हुआ
लग भी नहीं रहा था कि ऐसा कुछ हुआ था
मन विचलित हो गया
देखो अभी नयी नयी और उस पर यह
खुशी काफूर
वही ख्याल बार बार

मन को झटका , सही रास्ते पर लाया
यह क्यों नहीं सोचा कि और कुछ दुर्घटना नहीं हुई
जान बच गई
कभी हाथ पैर टूट जाएं
बाद में सामान्य
तब हम क्या यह सोचते हैं
नहीं न
फिर बेकार का ख्याल क्यों ??
यह तो होता रहता है
स्वाभाविक है
कभी टक्कर कभी ब्रेक
अलग तो कुछ नहीं

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