Thursday, 3 December 2020

दोस्ती का उसूल होता है

सखा कैसा हो
दोस्त कैसा हो
ऐसा हो जो हमारा हो
पूरा विश्वास हो
हर घडी में साथ हो
मन और शरीर से पास हो
हमारी हर बात का मान हो
उसकी नजरों में भरपूर प्यार हो

सखा कैसा हो
सखा कान्हा सा हो
जिसका समस्त प्यार अपने सुदामा के लिए हो
अमीर और गरीब
जात और पात
पद और ओहदा न देखे
बिना किसी की परवाह किए
अपने दोस्त को गले लगा ले
नंगे पैर दौड़ा चला आए
न मांगे न जताए बिना भी
सब कुछ दे दे

सखा दुर्योधन सा हो
जो उपेक्षित को दिल से दोस्त बना ले
संपूर्ण समाज के समक्ष
उसके सर पर मुकुट रख सूतपुत्र से अंगराज बना दे
उसके बल पर युद्ध ठान ले
इतना विश्वास कि
मृत्यु के बाद भी उनके शव को पांडवों को हाथ न लगाने देना
पूर्ण अधिकार अपने मित्र पर

सखा कर्ण सा हो
अपने जन्म का पता चलने पर भी
दुर्योधन का साथ न छोड़ना
मृत्यु को स्वीकार पर दोस्त को अस्वीकार नहीं
राज-पाट , मान - सम्मान सब उस पर न्योछावर
अन्याय का साथ देना मंजूर

सखा राम सा हो
जो सुग्रीव की मदद करने के लिए
बालि का वध कर दें
इतिहास क्या कहेंगा बिना उसकी परवाह किए बिना
उनको न्याय दिला दे
पत्नी और राज पाट लौटा दे

सखा हनुमान सा हो
जो सबसे बडा भक्त हो
जिसके बल पर विश्वास कर उसे लंका भेज दे
भगवान को भी मदद करें मुश्किल वक्त में
संजीवनी पर्वत ही उठा लाए
दोस्त की मूर्ति को दिल में ही बिठा ली

सखा द्वारिकाधीश कृष्ण सा हो
जो अपनी सखी के लिए हाजिर हो
जब सब असहाय
तब  इज्जत बचा ले
भले ही मायावी के नाम से सुशोभित हो जाय

सखा अर्जुन सा हो
जो सारी अक्षौहिणी सेना छोड़ केवल दोस्त को मांग ले
उसी दोस्त को युद्ध में प्रवृत्त करने के लिए
भगवत गीता का उपदेश देना पडे
अपने दोस्त के लिए सारथी बन जाए
रथ हांक उसका मार्गदर्शन करें
वह सखा देवकीनन्दन जैसा हो
भले ही गांधारी का शाप ग्रहण करना पडे

सखा विभिषण सा हो
रावण वध में सहयोग करें
अपने दोस्त को परेशान देख
वह राज बता दे
जो उसके ही भाई के मृत्यु का कारण बनें
घर का भेदी नाम से भले बदनाम हो जाय
पर दोस्त को जीत दिला दे

दोस्ती का उसूल होता है
मान - अपमान
डर - बदनामी
अच्छा - बुरा
उचित-अनुचित
लाभ - हानि
सब छोड़कर हर हाल में दोस्त के साथ खडा रहे

No comments:

Post a Comment