Monday, 21 December 2020

तभी तो देश का विकास

चलो खेत में जाते हैं
वहाँ से आलूचिप्स और साॅस लाते हैं
दलिया और बेसन लाते हैं
संतरे और आम्ररस लाते हैं
गुड और शक्कर लाते हैं
क्यों भाई इसमें आश्चर्य क्या ??
क्या यह सब खेत - खलिहान में नहीं मिलते
तब फिर ??
खेत खलिहान के साथ-साथ
कल - कारखाने भी जरूरी
सब किसान ही कर लें
यह कैसे संभव
व्यापार कैसे हो
माल कैसे पहुँचे
कोई कुछ कोई कुछ
जब करता है
तब जाकर कुछ बनता है
सबकी मेहनत लगती है
तब जाकर घर घर बनता है
परिवार परिवार बनता है
देश देश बनता है
किसान हो या व्यापारी
दोनों ही है जरूरी
एक पहिए से गाडी नहीं चलेंगी
चारो चक्के की जरूरत है
एक पहिए को डगराया जा सकता है
दौड़ाया नहीं जा सकता
लोहार , सूतार , मजदूर
ड्राइवर , कारीगर
सबकी अपनी-अपनी अहमियत
कपास उगाने से कपडा तो तैयार नहीं होगा
खेती के साथ-साथ उधोग धंधे होंगे
तभी तो देश का विकास होगा

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