Friday, 18 December 2020

व्यक्ति बना रहने दो

तुम मुझे बदलते गए
मैं बदलती गई
अपनी इच्छा मुझ पर लादते रहें
मैं इच्छानुसार चलती रही
कभी स्वयं को बदलने की कोशिश की
कभी मेरी इच्छा का भी मान रखा
व्यक्ति तो मै भी
व्यक्ति तो तुम भी
जरा बदले होते
खुद को भी मेरे अनुसार ढाला होता
तब पता चलता
बदलना कितना मुश्किल होता है
अपनी इच्छा को मारना
दूसरों के अनुरूप जीना
यह प्यार नहीं होता
गुलामी होती है
जो कदर करें
जैसे हैं वैसे ही स्वीकार करें
देवी मत बनाएं
साथी बनाएं
तब तो सुरलित चलता है जीवन
गाडी के दोनों पहिया बराबर चले
तब ही मजा आता है
एक लडखडाता रहें
रूकता रहें
यह भी ठीक नहीं है
स्वतंत्रता , असतित्व सबको प्यारी
नहीं रोको नहीं टोको
करने दो अपने मन की
स्वतंत्रता इतनी तो रहना ही चाहिए
नहीं तो वह फिर व्यक्ति नहीं
चाभी वाली  गुडिया बन जाएंगी

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